फर्जी प्रमाणपत्र पर नियोजन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

 मीनापुर। कौशलेन्द्र झा

बिहार सरकार सहित एक दर्जन लोगों पर पीआईएल दर्ज
सीबीआई से जांच कराने की हाईकोर्ट से की गयी मांग

शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा का मामला अब पटना हाईकोर्ट पहुंच गया है। इससे इस रैकेट से जुड़े लोगों में एक बार फिर हड़कंप मच गया है। अरविंद कुमार बनाम बिहार सरकार के नाम से दायर आवेदन में बिहार सरकार की जांच एजेंसी पर मामले की लीपापोती करने का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है। इस बीच पटना हाईकोर्ट ने श्री कुमार की ओर से दायर पीआईएल आवेदन को विचारार्थ स्वीकार करते हुए टोकन संख्या- 89317/2014 जारी कर दिया है।
गुरुवार को श्री कुमार ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के पी.आई.एल. आवेदन में बिहार सरकार, राज्य के शिक्षा सचिव, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन, मुजफ्फरपुर के डीएम, एसएसपी, मीनापुर के शिक्षाधिकारी व लालबाबू साह उर्फ सुबोध कुमार पर शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा करने या इस फर्जीवाड़ा में सहयोग करने का आरोप लगाते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। श्री कुमार ने आरटीआई से प्राप्त सभी दस्तावेज व फर्जी तरीके से बहाल तीन दर्जन से अधिक शिक्षकों की सूची सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश की है।
अधिकारी ने की थी फर्जी प्रमाणपत्रों की पुष्टि:-
इससे पहले बीते सितम्बर महीने में ही दाउत छपरा के अरविंद कुमार की ओर से आरटीआई से मांगे गए सवाल के जवाब में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना के लोक सूचना पदाधिकारी ने अपने पत्रांक 4196 में स्पष्ट लिखा है कि कटिहार के वीर कुंवर सिंह शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय में वर्ष 1994 में शारीरिक शिक्षकों की परीक्षा ही नहीं हुई। उन्होंने अपने दूसरे पत्र संख्या 4146 में लिखा है कि केदार पांडेय शारीरिक एवं स्वास्थ्य प्रशिक्षण महाविद्यालय साधनापुरी, पटना में भी वर्ष 1994 में परीक्षा नहीं हुई जबकि दोनों कॉलेज से1994 में उतीर्ण होने के प्रमाण पत्र पर मीनापुर में 36 शिक्षकों की बहाली हुई है। विदत हो कि इस खबर को हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसके बाद शिक्षा विभाग ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया था। हालांकि तीन महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है।

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