बिहार में अत्याधुनिक हथियार का धड़ल्ले से इस्तेमाल खतरे का संकेत

बिहार में सार्वजनिक जीवन जीने वाले की हत्या, अपराधियो के बढ़ते प्रभाव का खतरनाक संकेत है। इसे राजनीति से जोड़ कर देखने वाले, वास्तव में मामले की गंभीरता को समझ नही पा रहे है। पुलिस का नेटवर्क अबतक छोटी मछलियों तक ही फैला हुआ है।दरअसल, हमलावरों के हाथों में अत्याधुनिक फायर आर्म्स एके-47 का होना खतरे का बड़ा संकेत है। हालांकि, बिहार में यदा- कदा पहले भी एके-47 का इस्तेमाल हो चुका है। सवाल उठना लाजमी है कि क्या वैशाली जिले के किसी अपराधी गैंग के पास एके-47 है ? जवाब अगर हां में है तो पुलिस की जांच का डायरेक्शन सही दिशा में है और अगर ना में है तो उसे मोकामा टाल के उन संगठित अपराधी गिरोहों तक पहुंच बनानी होगी। जिनके पास ऐसे घातक हथियार होने के चर्चे आम हैं और जिनका नेटवर्क राघोपुर के साथ-साथ वैशाली जिले में भी फैला हुआ है। कहतें हैं कि राघोपुर का दियारा जहां समाप्त होता है, वही से बख्तियारपुर का दियारा क्षेत्र शुरू होता है। जो, मोकामा के टाल से सटा है।
अभी तक इस हाईप्रोफाइल मर्डर में जिन अपराधियों या राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के नाम आए हैं। उनमें कई आपराधिक प्रवृत्ति के साथ-साथ अपनी दबंगई के लिए जाने जातें हैं। मेरी चिन्ता का कारण ये है कि सेना या पुलिस द्वारा इस्तेमाल होनेवाला घातक फायर आर्म्स एके-47  अपराधी तक कैसे पहुंच जाता है? इसकी पड़ताल बेहद जरुरी है। मेरा स्पष्ट मत है कि राजनीतिक नफा नुकसान के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलबाड़ होना खतरनाक संकेत है और आने वाला वक्त इस लापरवाही के लिए हमें कभी माफ नही करेगा।

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