लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव

मीनापुर  कौशलेन्द्र झा 
साथियों मित्रों, लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव शुरू हो चुका है। हमारे रहनुमा, राह दिखाने को निकल पड़ें हैं। भ्रष्ट्राचार, मंहगाई और बेरोजगारी मुद्दा नही रहा। जातिवाद, सम्प्रदाय वाद और क्षेत्रवाद फिर से हावी है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और यहां के महान मतदाता, क्या आपको याद है कि वर्ष 1948 में कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने संपूर्ण कश्मीर ही नही, वरण तिब्बत को भी भारत में विलय की घोषणा की थी। क्योंकि, उस वक्त तिब्बत भी महाराजा के अधीनस्थ राज्य हुआ करता था। बावजूद इसके आज तिब्बत चीन के अधीन कैसे? संपूर्ण कश्मीर का बड़ा भाग आजाद कश्मीर आज पाकिस्तान के कब्जें में हैं। हमारे कब्जें वाले अरुणाचल प्रदेश पर चीन गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठा है। लद्दाख के हमारे टेरोट्री पर चीन ने सैनिक हैलीपैड बना लिया है। इतना ही नही वल्की लद्दाख और अरुणाचल में बार बार चीनी सैनिको का घुसपैठ जारी है। बंगलादेश की सीमा सटे हमारे पश्चिम बंगाल में लगातार अवैध घुसपैठ जारी है। श्रीलंका की तामिलटाईगर की तपीश से हमारा तामिलनाडू झुलश रहा है। आजादी के वक्त डालर का मुकावला करने वाला हमारा रुपये आज 64 रुपये तक लुढ़क चुका है।
बावजूद इसके इन तमाम मुद्दो पर हमारे रहनुमा चुप क्यों हैं? रहनुमाओं को छोरिए, वह तो है ही हमारा सेवक। मालिक तो हम है। सवाल भी यही है कि हम चुप क्यों हैं? क्योंकि, बड़ी ही चालाकी से हमें जाति और सम्प्रदाय में बांट कर बाकि मुद्दो से अलग कर दिया गया है। साथियों, चुनाव राष्ट्र का है और मुद्दा स्थानीय। यह महज संयोग नही, वल्की साजिश है। यदि समय रहतें हम इसको समझ नही पाये तो, विश्व के पैमाने पर पिछड़ते रहेंगे। समय हाथ से निकल गया तो जाति व सम्प्रदाय के ठेकेदार काम नही आयेंगे। सोचिए ! मुझे आपके प्रतिक्रया का इंतजार रहेंगा।

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