...जब फिसली नेता जी की जुबान

मीनापुर  कौशलेन्द्र झा  
लोकसभा चुनाव के पहले सभी राजनीतिक दल शुचिता का दंभ भरते हैं, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे मुद्दे गायब होते जा रहे हैं और नेताओं की जुबान फिसलने लगी है. मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए जाति, कौम के नाम पर बदजुबानी जंग तेज होती जा रही है.
इसमें कोई एक दल या कोई खास नेता शामिल नहीं है, सभी दलों के लोग वोट बटोरने के लिए बदजुबानी जंग में एक-दूसरे के आगे निकलने की होड़ में लगे हुए हैं. जनता भी इन भाषणों को सुनकर नेताओं के हां में हां मिला रही है और तालियां बजा रही है.
महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर जनता का गुस्सा जैसे ठंढा हो चला है, तो दलबदल करने वालों को सबक सिखाने की कसमें टूटने की दहलीज पर खड़ी हैं.
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने बिहार दौरे के दौरान यदुवंशी नेताओं के नाम पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधा और कहा कि ये यदुवंशियों के नेता उस कांग्रेस के साथ हैं, जिसकी सरकार पशुओं के मांस का व्यापार फैलाने में लगी है. मोदी ने इसे 'गुलाबी क्रांति' तक की संज्ञा दे डाली.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के पार्टी छोड़ देने को राजपूत जाति से जोड़कर भाजपा पर हमला कर रहे हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी राजपूत की दुश्मन है, अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में लालू के भाषण मंदिर-मस्जिद पर टिक जाते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने बिहार दौरे में बीजेपी को आंखों में धूल झोंकने वाला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुखौटा बदलने वाला करार दिया .
जदयु के नेता भी गुजरात में हुए इशरत जहां मुठभेड़ कांड को लेकर गुजरात सरकार पर हमला कर रहे हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कह रहे हैं कि देश के अल्पसंख्यक बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से डरते हैं.
खुफिया एजंसियों द्वारा जमुई के जदयू प्रत्याशी और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर चुनाव में मदद पहुंचाने के लिए नक्सलियों से सांठ-गांठ का आरोप लगने के बाद जदयू ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेवार बता दिया.
अब दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में किसी प्रत्याशी पर खुले तौर पर नक्सलियों से मदद मांगने की बात सामने आई है और उसके बचाव में उनका दल सामने आ गया है.

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